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14 April 2016

एक शेर ******* पीठ पीछे जो हुआ....... वोही दिखे है सामने असलियत जिस हाल में हो एक जैसी ही हुई - अरुण एक शेर ******* खोजने को कुछ नही..........सब खुल्ले रख्खा   खोज जिसकी भी करो.........स्व-पल्ले दिख्खा - अरुण एक शेर ******** यह यहाँ अभी हुआ.......... वोही हमेशा हर तरफ खोजते हो क्यों समय के चाक चढ़कर सब तरफ़ - अरुण एक शेर ******** अबतक तो जी रहे हो ढली ढलती जिंदगी जाना न ……..जिंदगीकी हुआ करती जिंदगी - अरुण एक शेर ********* नाटकों में, किरदार निभाये जाते हैं जिंदगी में मगर निभा लिए जाते हैं - अरुण एक शेर ******** मिची आँखों के सामने सपने, खुली आँखों के सामने भी यही वो हकीकत है शायद जो किसी नींद से गुज़रती रहती - अरुण एक शेर ******** हर वक्त रुका ठहरा, लगता के चले हरदम आंखों में न जो आये....पूरी कुदरत एकदम - अरुण एक शेर ******* जटिलता ही बनी आदत, कठिनता अब भली लगती सहज सीधा सरल जीवन बिताना बन गया मुश्किल - अरुण एक शेर ********* न है अंधेरे का कोई वजूद और न कोई चिराग़ जलाना है समझ की ज्योत जले........................पूरी धुंध हट जाए - अरुण