26 अक्तूबर

वे भी भरोसेमंद नही...
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वे लोग जिनकी राष्ट्रनिष्ठा पर शक हो उन्हे
भरोसे लायक न समझना वैसे तो ठीक ही है ।

पर क्या वे लोग या संगठन
जो देश के संविधान की मूलभूत आत्मा को ही सिरे से नकारते हैं ..
और फिर भी अपनी इस सोच और इरादे को
आदर्शवादी शब्दों एवं धारणाओं में छुपाकर रखते हैं....
भरोसेमंद हो सकते हैं?
अरुण

एक शेर
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अल्फ़ाज़ हैं इशारें महज़.. ..हकीकत नही
पर उसे ही मान लेते सच.....ऐसे कम नही
अरुण

यह जीवन केवल एक संचार है
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जीवन सिर्फ है एक संचार...न कोई आकार न प्रकार
न कोई नाम न उच्चार
न किसी काल-पट्टी के खांचो से कट सके ....
न भूत, भविष्य और वर्तमान में बट सके
न बिंदु है सो न है रेखा..
दिखे... जैसा जिसने देखा
जब देखो तभी है ....न कल था न अभी है ....और इसीलिए
इसे नया या पुराना कहना भी ठीक नहीं
न पुराना था कभी सो ............नया कहना भी सटीक नहीं
अज्ञानवश निरंतरता का आभास जगाने वाला
स्थाई या कि अस्थाई....
इन जैसे सवालों को उठानेवाला...
यह जीवन केवल एक संचार है
-अरुण    
एक शेर
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अपने रिश्तों के धरातल का नाम है दुनिया
दुनिया वो नही जो .......दूर कहीं रखी हो
अरुण

एक शेर
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मसलों से हैं निपटते.....कुछ इसतरह सभी
पेड़ों की ना ख़बर लें,  पत्तों का बस ख़याल
- अरुण

एक शेर
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अपना ही रूप दुनिया.. दुनिया में.. फिरभी हम
अपने को दूर रखकर.......दुनिया की सोचते हैं
- अरुण

एक शेर
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भीतर में इक ख़याली.... है पेड़ उग गया
छाया में जिसकी ढलते....मेरे तमाम रिश्ते
अरुण

एक शेर
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'नींद से बाहर निकल आना' नही है जागना, क्योंके
जागने पर... .....जागनेवाला न बचता.....अलहिदा
अरुण
एक शेर
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नही कथन.. न कोई कहने-सुननेवाला है
कई तरह की... सर में हो रही हैं आवाज़ें
अरुण
एक शेर
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एक ही आदमी जीता है हर ज़माने में
कई तरह के रूप रंग और क़िस्से लिए
अरुण
एक शेर
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जबसे स्वीकारी मुल्क जात की पहचान
ज़मीन एक मगर आदमी के टुकड़े हुए
अरुण
एक शेर
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हरपल निराला है...निराली जिंदगी है
जाने वही के जिसका न हो कोई नाम
- अरुण

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