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कुछ सच्ची बातें

सच्ची बात ********** कोईभी रचाता नही है जगत ये है रचना जो खुदसे रची जा रही है जिसे ये समझ आ गई बात गहरी उसे हर जटिलता सुलभ लग रही है - अरुण सच्ची बात ********** न किसी की मेहरबानियों के लिए हूँ झुकता..... जमीं चूमने के लिए है कुदरत में घुलना.. सही जिंदगी नही उससे......कुछ माँगने के लिए अरुण सच्ची बात ************ सृष्टि की न भाषा कोई.. न है बोलना उसे सृष्टि बनकर रहना और फिर .भोगना उसे संवाद विवाद न चक्कलस न चर्चा ज़रूरी जिओ केवल उसमें समाए, न परखना उसे अरुण सच्ची बात ********** जिंदगी हाँ.. ना......में दिया जबाब नही हिसाब रखनेवालों का ......हिसाब नही अनगिनत अक्षर हैं ....नये नये तजुर्बों के कुछ जानेपहचाने अक्षरों की किताब नही अरुण सच्ची बात *********** डर नही है मौत का.. है जिंदगी खोने का डर जी नही पूरीतरह से ..अधुर रह जाने का डर लम्हा लम्हा जिंदगी का जो जिया पूरी तरह मर रहा लम्हे में उसको खाक मर जाने का डर अरुण सच्ची बात ************ सत्य और शांति की तलाश में हिमालय जैसे निर्जन (जहाँ कोई जन न हो) स्थलों पर जाना भी ठीक होगा, अगर तलाश करनेवाला अ