रुबाई

रुबाई
********
यूँ अंधेरा न उजाले को मिटा पाता है
न उजाले को अंधेरे पे तरस आता  है
चिढा हुआ है सिरफ ऐसा जगा 'आस्तिक' वह
नींद में रहते  दूसरों को जो जगाता है
- अरुण

Comments

Popular posts from this blog

षड रिपु

समय खड़ा है, चलता नहीं