रुबाई

रुबाई
******
खुद के भीतर जा उतर सीढी कुई लगती नही
दुसरों की आंख से दुनिया कभी दिखती नही
आइनें भी शक्ल दिखलाते मगर क्या काम के
आइनों  में शक्स की गहराईयां ...दिखती नही
- अरुण

Comments

Popular posts from this blog

षड रिपु

समय खड़ा है, चलता नहीं