रुबाई

रुबाई
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वक़्त जो बनाये इंसा की मुराद
मुराद बने बिगड़े करे बरबाद
वक़्त ही है इंसा का दुश्मन
ज़हन इंसा का करे जिसका इजाद
- अरुण

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