दो रुबाई आज के लिए

दो रुबाई आज के लिए
***********************
आइना हो साफ़ आँखें साफ़ हों
बस हक़ीक़त से तभी इंसाफ़ हो
एक नन्हें की तरह देखा करो
सीधा पहलू हो असल दरयाफ़* हो

दरयाफ़ = दरयाफ़्त = खोजबीन
*********************************
बेखुदी गर... जिंदगी किस काम की ?
बेरुहानी बंदगी किस काम की ?
खोज का सामान जब ज़िंदा नही
जुस्तजू-ए- जिंदगी किस काम की ?

जुस्तजू-ए- जिंदगी= जिंदगी की खोज
*********************************
अरुण

Comments

Ankur Jain said…
सुंदर प्रस्तुति।

Popular posts from this blog

षड रिपु

मै तो तनहा ही रहा ...