आसमां और परिंदे

दुनिया में उलझना ही पडे, तो उलझो ऐसे
जैसे परिंदों से.............. आसमां उलझे
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आसमान है सत्य के जैसा अविचल, अकाट्य,अबाधित, जिसे कोई भी फडफडाहट, छटपटाहट,कोलाहल,तनाव, कुछ भी नहीं कर पाता । क्योंकि आसमान इन सबसे होकर गुज़र जाता है ।
मन का तनाव,अशांति या कोलाहल अपनी आक्रमक ऊर्जा खो बैठता है जब चित्त की प्रशांत अवस्था अपने पूर्ण तरल  स्वरूप में मन से होकर गुज़रती है ।
- अरुण

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