दृश्य और दर्शक

दृश्य और दर्शक
केवल गहरा एवं व्यापक आत्म-अवलोकन  ही समझा पाता है कि......
दृश्य का स्पष्ट दर्शन पाने वाला दर्शक स्वयं के प्रति सोया होता है, या स्वयं पर ध्यान ज़माने वाला, दृश्य के प्रति सो जाता है.
दृश्य और दर्शक दोनों पर एक साथ हुई जागृति ( Awareness)  ही.... दृश्य, दर्शन और दर्शक – तीनो के बीच के भेद को पूरी तरह खोते हुए... सृष्टि के एकत्व को देख लेती है ।
-अरुण  

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