साहिर लुधियानवी साहब की अध्यात्मिक सोच



साहिर लुधियानवी साहब के फिल्मी गीतों में भी आध्यत्मिक आशय बसते हैं  
बानगी के लिए उनके एक गीत का यह मुखड़ा देखिये
‘जियो तो ऐसे जियो जैसे सब तुम्हारा हो’
(मतलब कोई आभाव न हो – वासनाएँ पूरी तरह तृप्त हों)
‘मरो तो ऐसे मरो जैसे तुम्हारा कुछ भी नही’
(फिर लौट आने की जरूरत क्या? जब पीछे कोई अतृप्ति छूटी ही न हो)
-अरुण

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