तुलना जरूरी भी और खतरनाक भी



भौतिक तल पर नाप तौल तो जरूरी हैं... तुलनात्मक शोध और उसपर आधारित तकनिकी आविष्कारों के के काम आतें हैं. परन्तु मनोवैज्ञानिक तुलनाओं ने,.... स्पर्धा, इर्षा, द्वेष, घृणा, संघर्ष, भ्रष्टाचार, चालबाजियां, झगड़े और युद्ध जैसे विकारों और दुष्परिणामों का सिलसिला चालू कर दिया है.
व्यक्तित्व विकास, सामाजिक प्रतिष्ठा और महत्वाकांक्षी बनना .. जैसी मन-लुभावन बातों में उलझकर आदमी का मन अपनी मनोवैज्ञानिक प्रगति की सोचने लगा और उसी क्षण-बिंदु से ऊपर दर्शाए मनोवैज्ञानिक विकारों और दुष्परिणामों को निमंत्रण दे बैठा
-अरुण  

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