रास्ता गलत है या नजर ?



आदमी जिन्दा कहाँ है, अधमरा है अधजिया है
भूत का चष्मा पहनकर कदम रखता,
चल रहा है ....आज की ताजी डगरपर
हर कदम तो साफ़ सुथरा...
रास्ता बिलकुल नया है
पर लगे की रास्ते पर
कल जो देखा .... वही कीचड़ पड़ा है
और हर आगे बढ़ते कदम से .. लिपट रहा है
मन व्यथित है ... सोचता है
कैसे होगा रास्ता यह साफ़ सुधरा ..?
पर यह सवाल उठ्ठा ही नही की
रास्ता गलत है या नजर ?
-अरुण

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