जिंदगी इसे एक न एक दिन तो नोंच ही लेगी



मायावी कोष में रमता यह जीवन
जिंदगी एक न एक दिन तो नोंच ही लेगी
और हमें मौत की पीड़ा देगी .....
क्यों न हम स्वयं,
इस मायावी चोले से बंधे मिथ्या जगत को त्यागकर
अमायावी जीवन की मुक्त धारा में विहार करें
-अरुण  


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