खुद ही मर्ज. मरीज और इलाज भी



मन में बड़ी भूमिका
निभानेवाला अहंकार
उस जापानी खिलौने (बबुआ)
जैसा है जिसे कहीं से फेंको या मारो
वह फिर अकड़कर जमीनपर सीधा का सीधा
खड़ा हो जाता है
क्योंकि अहंकार मर्ज है और
डाकटर भी, अहंकार की पीड़ा
सहने वाला मरीज भी
खुद अहंकार ही है
-अरुण  

   

Comments

yashoda Agrawal said…
आपने लिखा....
हमने पढ़ा....और लोग भी पढ़ें;
इसलिए बुधवार 031/07/2013 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in ....पर लिंक की जाएगी.
आप भी देख लीजिएगा एक नज़र ....
लिंक में आपका स्वागत है .
धन्यवाद!
मन तो मन है कभी किसी से हारा है क्या

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