प्रगाढ़ जागरूकता का अवधान



अवधान जहाँ तक पसरा हो
मनुष्य का चेत-अचेत वहीँ तक
विद्यमान है.
प्रायः अवधान नींद, स्वप्न और
वस्तुगत जागृति तक ही पसरा रहता है.
पर यदि अवधान आत्मगत जागृति में
विराजमान हो जाए तो
मनुष्य तीनो अवस्थाओं (नींद, स्वप्न और जागृति) को
उनके बाहर रहकर
किसी साक्षीभाव से  
निहार सकता है.
यह चौथी अवस्था प्रगाढ़ जागरूकता की है.
-अरुण

Comments

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के