ध्यान यानि पुनः जागृति



अपने इस एक ही देह के निमित्त से
आदमी एक ही वक्त तीन तरह की
जिंदगियां जी रहा है,
biological, psychological और
spiritual.
परन्तु उसकी psychological जिंदगी ही
leading या controlling बन गई है और इसकारण
आदमी अपनी जिंदगी की
सही समझ खो बैठा है.
ध्यान इसी सही समझ पर पुनः
जागृत होने का नाम है
-अरुण

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