देखे को लिखता हूँ



इस दुनिया में अधिकतर वही लोग हैं
जो लिखे को दिखा मान बैठे हैं.
अब जब मै दिखे को लिखता हूँ
और उनके सामने रखता हूँ,
वे उसे सही सही नही पढ़ पाते क्योंकि
वे अपने ‘माने गए दिखे’ से
मेरे लिखे का मेल बिठाने की कोशिश में
लग जाते हैं
-अरुण

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