नीर-क्षीर भेद



भले ही देह और मन
एक ही सिस्टम के दो अभिन्न हिस्से हैं
परंतु ध्यान के तल पर निर्मन-देह और
विदेही-मन, दोनो की प्रतीती संभव लगती है,
जिस तरह नीर और क्षीर को हंस अलग अलग
कर सकता है, ध्यान को भी यह कला अवगत है
-अरुण   

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