साँस से चिपके एहसास ने ......
हर साँस से चिपके विचार-रुपी
एहसास ने
अगली साँस के उठने से पहले ही
नये विचार जगाना
शुरू कर दिया,
अब विचार के भीतर विचार
उससे सटे विचार और फिर विचार पर विचार और
फिर विचार के सामने से
आते विचार के संचार ने
चित्त को भटका दिया है
अब चित्त साँस के जागरण से नहीं,
बल्कि, विचाररूपी एहसास से भर गया है
-अरुण
Comments