द्वैत और संघर्ष


सिर्फ कहने के लिए नहीं बल्कि
तन मन और ह्रदय की
गहराई से
जिसे यह बात छू जाए कि-
‘ईश्वर कण कण में समाया हुआ है’-
उसके जीवन से द्वैत-भाव
और उसका परिणाम यानि
संघर्षमयता पूरी तरह लुप्त हो जाएगी,
यही स्वाभाविक है
-अरुण  

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