सत्य यानि यतार्थ की सही सही समझ



यतार्थ जैसा है उसे
(सकल अंतर्दृष्टि द्वारा ) वैसा ही
देख-समझ लेने की घटना ही
सत्य का उद्घाटन है.
यानि यतार्थ नहीं बल्कि
यतार्थ की सही सही समझ से ही
सत्य का द्वार खुलता है
-अरुण 

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