जीवनोपयोगी दृष्टान्त


किसीने सूचित किया
 सेठजी घोडागाडी पर सवार होकर बाजार जा रहे थे.
इस सूचना में निहित तथ्य हैं
  • सेठजी का प्रयोजन बाजार जाने का था
  • गाडीवान सेठजी के आदेश का पालन कर रहा था
  • घोडा गाडीवान के लगाम-सकेतों के अनुसार अपनी दिशा और गति संवार रहा था
  • घोड़े के कदम घोड़े की मस्तिष्क के आधीन होकर काम कर रहे थे
इसतरह सेठजी अपने प्रयोजन से, गाडीवान मिले आदेश से, घोडा लगाम से और घोड़े के कदम घोड़े के मस्तिष्क से संचालित थे. हरेक का संचालक अलग होते हुए भी देखनेवाले की दृष्टि और समझ में सभी गाडीवान, घोडा और घोड़े के कदम मिलकर एक ही प्रयोजन की दिशा में संचलित लग रहे थे.
इसीतरह, अहंकार, मन, मस्तिष्क और शरीर मिलकर संचलित होते दिखते हैं, किसी बाजार या काल्पनिक प्रयोजन की दिशा में.
-अरुण

Comments

NARAYAN MHASKAR said…
WHOLISTICNESS
OF IS AND NON-IS
OF NOUN AND VERB
OF MATTER AND ENERGY
OF MATTER AND NO MATTER
OF ENRGY AND DARK ENERGY
AH!
WHOLISTICNESS OF THE WHOLE
babu mhaskar
NARAYAN MHASKAR said…
WHOLISTICNESS
OF IS AND NON-IS
OF NOUN AND VERB
OF MATTER AND ENERGY
OF MATTER AND NO MATTER
OF ENRGY AND DARK ENERGY
AH!
WHOLISTICNESS OF THE WHOLE
babu mhaskar

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