जान और जानना


जान और जानना
ये दोनों ही शब्द
एक दूसरे के करीब दिखते तो हैं
पर एक दुसरे के विरोध में खड़े हैं
सत्य अस्तित्व की जान है
परन्तु सत्य को जानने वाले
अस्तित्व को जी नही पाते
अस्तित्व को तन मन और ह्रदय की
समग्रता से जीनेवाले,
जरूरी नही कि
अस्तित्व के सत्य को जानते ही हों
-अरुण

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