हरेक फूल में सारे जहाँ की सारी खुशी


कहीं शुरू कहीं खतम, ये तर्क बचकाना
जहाँ असीम है, कोई हुआ न पैमाना
हरेक फूल में सारे जहाँ की सारी खुशी
किसी भी फूल का अपना अलग न मुस्काना
-अरुण

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