नववर्ष की सुबह – सच का एहसास

आग जिन्दा है

जिन्दा है आसमान में उठता धुआं

पर मेरा एहसास सिर्फ धुंए तक ही है सीमित

और यही सीमित एहसास

मेरी जिंदगी है

जिस दिन आग का एहसास होगा

जिंदगी सही माने में जिन्दा हो उठेगी

................................................... अरुण

Comments

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
नव वर्ष की शुभकामनायें|

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