सत्यान्वेषक

धरा वास्तविक है

आकाश भी वास्तविक है

परन्तु दोनों का

मिलन-स्थल तो केवल भ्रम मात्र है

यह भ्रम क्यों और कैसे फलता है

इस बात का खोजी

सत्य का अनुसंधानक है

जो लोग धरा और आकाश का अनुसंधान करते है

वे वैज्ञानिक कहलाते हैं

देखा यह गया है कि

वैज्ञानिक सत्यान्वेषक को समझना चाहता ही नही

जबकि सत्य का अनुसंधान-कर्ता वैज्ञानिक पद्धति के साथ ही

आत्म-संशोधन की कला को भी अपनाता है

वह विज्ञान को निरर्थक नही मानता

........................................................... अरुण

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