अस्तित्व की एकात्मकता

वर्षा होने वाली है, बदली छाई है

और

पंख-पसारे हुए मोर

नाचने लगे हैं अनायास-

ऐसा कहने के बजाय

किसी ने कहा

अपने बादलों और मोर-पंखी

रंगों को उछाले वर्षा नाच रही है

........................

पहली अभिव्यक्ति,

मन ने रची,

तो दूसरी-

दृदय से निकली

पहली में घटनाओं का क्रम है

तो दूसरी में अस्तित्व की एकात्मकता

...................................................... अरुण

Comments

Asha Joglekar said…
वाह कितनी रंगीन एकात्मकता । बहुत अच्छी लगी ।

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