जीवन –अस्तित्वमान या मायावी

प्राण शरीर में संचार करते हैं

और शरीर चेतना में,

प्राण के अभाव में शरीर चेतना-शून्य है

परन्तु

चेतना न भी हो या आदमी

बेहोश हो तबभी

प्राणों को चलते पाया जाता है

..................

जिसकी सजगता, भान या अवधान में

प्राण, शरीर और चेतना

तीनों ही उपस्थित होतें हैं

उसका जीवन अस्तित्वमान है

अन्यथा जीवन है केवल

काल्पनिक या मायावी

............................... अरुण

Comments

बहुत सुन्दर ....अध्यात्म की राह पर है आप शायद ...
शुभकामनाये

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