एक निरंग धरातल

इस स्वच्छ स्वस्थ

निर्मल निरंग धरातल पर

पिछला इतिहास और

अगला आभास

प्रक्षेपित है एक चल-चित्र की तरह

चलते चित्रों की

गति को ही मिल गया है

एक प्रति-अस्तित्व और

अब धरातल के सारे प्राण

हिलते और डोलते मालूम पडतें है

इसी प्रति अस्तित्व की धुन पर

....................................... अरुण

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