परिवर्तन बीज में यानी व्यक्ति में जरूरी

वैसे तो खुले तौर पर

समाज हमेशा ही मोह ओर लोभ से

बचने की शिक्षा देता रहा है

परन्तु दूसरी ओर उलट,

प्रतियोगिता, सफलता, महत्वाकांक्षा,

समाज में अपना वजन बढ़ाने जैसी बातों को

प्रोत्साहन और प्रतिष्ठा भी देता रहा है

जब तक ऐसी चीजों को

समाज में सम्मान है

भ्रष्टाचार, दुराचार, लूट-खसोट,,

अनावश्यक संग्रह के किस्से बने ही रहेंगे

इन बातों का विरोध तो होगा परन्तु

मनुष्य के आचरण में परिवर्तन की किसी भी

सम्भावना की अनुपस्थिति में.

..............

परिवर्तन व्यक्ति में होगा तभी

समाज बदल पाएगा

परिवर्तन बीज में होगा तभी

वृक्ष में गुणात्मक बदलाव संभव हैं

....................................................... अरुण

Comments

Sushil Bakliwal said…
शुभागमन...!
आपके हिन्दी ब्लागिंग के अभियान को सफलतापूर्वक उन्नति की राह पर बनाये रखने में मददगार 'नजरिया' ब्लाग की पोस्ट नये ब्लाग लेखकों के लिये उपयोगी सुझाव. और ऐसे ही अन्य ब्लागर्स उपयोगी लेखों के साथ ही अपने व अपने परिवार के स्वास्थ्योपयोगी जानकारियों से परिपूर्ण 'स्वास्थ्य-सुख' ब्लाग की पोस्ट बेहतर स्वास्थ्य की संजीवनी- त्रिफला चूर्ण एक बार अवश्य देखें और यदि इन दोनों ब्लाग्स में प्रस्तुत जानकारियां अपने मित्रों व परिजनों सहित आपको अपने जीवन में स्वस्थ व उन्नति की राह में अग्रसर बनाये रखने में मददगार लगे तो भविष्य की उपयोगिता के लिये इन्हें फालो भी अवश्य करें । धन्यवाद के साथ शुभकामनाओं सहित...

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