परछाई से काटते परछाई को यार तू कैसे हो पायगा अहंकार पर स्वार

परछाई से परछाई को काटा नही जा सकता

अहंकार भी अहंंकर को

समाप्त नही कर सकता

जो लोग यह संकल्प या विचार करतें हैं

कि वे अहंकार पर नियंत्रण कर लेंगे

उनका यह संकल्प भी अहंकार की ही उपज है

अहंकार और उसके बल पर पैदा होने वाली

हर विचार चेतना

जब तक शुध्द चेतना के ध्यान में

नही उतरती

अहंकार से अनुपस्थित नही हो सकती

................................................. अरुण

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