समझ संवाद-विवाद से परे

संवाद हो या विवाद दोनों के लिए

दो या दो से अधिक टुकड़ों

(पक्षों या व्यक्तियों) का होना

जरूरी है

समझ एक की एक है जिसमें

अखंडत्व होता है

परन्तु यदि मन के भीतर दो या

दो से अधिक टुकड़े संवाद कर रहे हों

तो वह समझ नही, वह तो

मन के भीतर चलनेवाला

संवाद या विवाद है

विचार तो टुकड़ों के बीच के संवाद/विवाद से

फलता है

जब विचार निष्क्रीय हो जाता है तभी

समझ की संभावन फलती है

............................................... अरुण


Comments

सुन्‍दर शब्‍दों का संगम इस रचना में ।
अच्छी लगी आपकी कवितायें - सुंदर, सटीक और सधी हुई।
मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!

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