विचार बहुत शरारती हैं

विचार बहुत शरारती हैं

आदमी में बोध या जागरण का

भ्रम जगाते हैं

अपनी नकली दुनिया में ही

आदमी को उलझाये हुए,

उसमें मुक्ति का आकर्षण पैदा करतें हैं

फिर विचारों के रसायन से बना

यह मन

मन ही मन मुक्ति ढूँढने लगता है

मुक्ति तो पाता नही

मुक्ति की लालसा में

उलझे हुए आदमी को

कई बाबाओं, ग्रंथों, क्रियाकलापों

और उपायों तंत्र मंत्र आदि की

दुनिया में भटकाता है

........................................... अरुण



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