लहरें समन्दर की, लहरें मन की

धीमी-धीमी मृदुल हवा से

गतिमान

समन्दर की लहरें हों

या

बवंडर से आघातित

ऊँची ऊँची उछलती लहरें

समन्दर की लहरों में हमेशा ही

एक लय बद्धता है

उनमें कोई आतंरिक संघर्ष नही

सभी लहरें एक ही दिशा में

एक ही ताल, रिदम में चलती, उछलती हुई

परन्तु

मन की लहरें आपस में ही भिड़ती,

एक दूसरे से जुदा होते हुए

अलग अलग दिशा में भागती

तनाव रचती,

संघर्ष उभारती

मन की लहरें

समन्दर की लहरों के पीछे एक ही निष्काम-शक्ति है

मन की लहरों के पीछे परस्पर विरोधी इच्छा-प्रेरणाएँ

............................................................. अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
समन्दर की लहरों के पीछे एक ही निष्काम-शक्ति है
मन की लहरों के पीछे परस्पर विरोधी इच्छा-प्रेरणाएँ


-बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
मन की लहरों का सटीक विश्लेषण ..
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 12 -10 - 2010 मंगलवार को ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

http://charchamanch.blogspot.com/
vandana gupta said…
्सुन्दर अभिव्यक्ति।
अति उत्तम तुलना की है समुद्र की और मन की लहरों की. सटीक विश्लेषण.
एक बार यहाँ भी देखें ...

http://charchamanch.blogspot.com/2010/10/20-304.html

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