घड़े में स्वयं भर गया हूँ

पूरा का पूरा

और जानना चाहता हूँ

कैसा होता है घड़े का रीतापन

शायद कभी भी न जान पाऊं

तबतक

जबतक स्वयं के होने का भ्रम

टूटता नही

पूरा का पूरा

.......................................अरुण

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