जनता ठंडी, नेता उबलते हुए

उबलने के लिए

जितना जरुरी होता है

उतना गरम होने से पहले ही

अगर पानी उबलने लगे तो

बात अटपटी सी लगेगी

संसद, विधानसभाओं और

सड़कों पर ऐसा अटपटा उबाल

रोज ही देखने, सुनने और पढ़ने को

मिल रहा है

................................... अरुण


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आज की दुनिया का कटु शाश्वत वास्तविक सत्य ..

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