शून्यत्व दिखे तो धार्मिक.......

सांसारिकता में उलझा जीवन

शून्य था, है और रहेगा

जीवनभर चलते जोड़-घटानों के बाद भी

शून्य ही है

जिसे यह शून्यत्व, क्षण-प्रतिक्षण दिख रहा है

वह धार्मिक है

.................................. अरुण


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