शुद्ध लय शब्दों में खो गई

किसी भी गेय गीत में
धुन, ताल और शब्दों की संगती है
जब भी शब्दों को धुन में सुना जाता है
या धुन को शब्दों में उभारा जाता है तो दोनों
एक दूसरे में इतने घुलमिल गये होते हैं
कि लाख कोशिशों के बावजूद भी
न तो शब्दों को धुन से और न तो
धुन को शब्दों से अलग किया जा सकता है
जीवन क़ी शुद्ध लय में सांसारिक शब्द
इतने घुलमिल गये हैं कि अब
शुद्ध लय को ढूँढना मुश्किल बन गया है
.................. अरुण

Comments

Unknown said…
सांसारिक शब्द जाल में जीवन की लय तलाशती बेहतरीन कविता...दार्शनिक भाव-भूमि पर अवस्थित सुन्दर रचना हेतु बधाई।
Udan Tashtari said…
बेहतरीन!
Anamikaghatak said…
shabd jaal me fanse jeevan ko shuddha laya ki nitanta avashyakta hai.......bas margdarshan ki avashyakta hai........bilkul satik lakhaa gaya hai

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