केवल बुद्धि से नही ....तत्त्व से

बुद्धि को यह बात कि
'हम सब डोरी को सांप समझकर जी रहे हैं'
भले ही अच्छी तरह से समझ आ गयी हो
फिर भी मन अभी भी 'डोरी' से
यानी वास्तविकता से
दूर भागता है
बुद्धि से सत्य जानना काफी नही
सत्य तत्त्व से (तन-मन-ह्रदय एवं अवधान से)
अनुभव में समाना जरूरी है
..................................... अरुण

Comments

बिलकुल सही कहा
छोटी पर असरदार रचना के लिए धन्यवाद
बहुत ही खूबसूरत और शिक्षाप्रद कविता है!

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