परमात्मा ही परमात्मा को जाने

परमात्मा स्वयं को अनुभूत कर रहा है
प्रति पल प्रति स्थल
इस सत्य को जानने के लिये
परमात्मा ही बन जाना होगा
इसका मतलब की
अपनी व्यक्तिगत पहचान को
भुलाना होगा
इस ऐसी पहचान की निरर्थकता को
पहचानना होगा
................................ अरुण

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