दो शेर

ख़ुशी की खोज में निकले हुए नाकाम हुए
थक के बैठे ही थे के बादल ख़ुशी के आ बरसे
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है जान लिया मैंने अपना जो पागलपन
फिर भी न उसे देखा इस दिल ने अच्छे से
....................................................... अरुण

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