तीन दोहे

मूरखपन अपना दिखे होवे असली ज्ञान
पढ़ा सुना सर में धरे वो पावत बस मान
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मन के ऊपर जो चढ़े, कर ले जीवन सैर
मन चक्के में फँस गया, उसकी ना कछु खैर
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हम पुतले हैं नून के सागर जाएँ बोर
नही बताशा जो करे, चीनी बैठे शोर
............................................... अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
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हम पुतले हैं नून के सागर जाएँ बोर
नही बताशा जो करे, चीनी बैठे शोर

-बढ़िया दोहे!

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