कुछ शेर

चलने पर राह बनती है
बनी ( राह) पर भीड़ चलती है
..................................
नीति निभे न निभे
नीयत ठीक तो सब ठीक
......................
फासला तो था नही, लगने लगा
चाक अपनी ही जगह चलने लगा
.............................................. अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
बहुत सुन्दर!!

Popular posts from this blog

षड रिपु

मै तो तनहा ही रहा ...