तीन पंक्तियों में संवाद

चंद सामान से गुजारा करने वाले
अच्छी हालत में बसेरा करने वाले

आंसुओं की नमी में कोई फर्क नहीं
---------------
सुबह को आना हो तो कहाँ आएगी
रात ठहरी है हरेक के घर में

जलता तो होगा कहीं चिरागे उम्मीद
................................................ अरुण

Comments

M VERMA said…
चिरागे उम्मीद ही तो है जो जलता रहता है
Udan Tashtari said…
सुबह को आना हो तो कहाँ आएगी
रात ठहरी है हरेक के घर में

जलता तो होगा कहीं चिरागे उम्मीद


-बहुत उम्दा, जनाब!!
बहुत बढिया!!

सुबह को आना हो तो कहाँ आएगी
रात ठहरी है हरेक के घर में

जलता तो होगा कहीं चिरागे उम्मीद
बहुत बढिया!!

सुबह को आना हो तो कहाँ आएगी
रात ठहरी है हरेक के घर में

जलता तो होगा कहीं चिरागे उम्मीद

Popular posts from this blog

मै तो तनहा ही रहा ...

यूँ ही बाँहों में सम्हालो के