कुछ सांकेतिक शेर

जिंदगी से मै बहोत नाशाद हूँ
जितना चाहूँ उतना वह देती नहीं

(सांसारिकता में उलझे मन का निराश होना लाजमी है.
इच्छाएं बढ़ती ही जाती हैं जिससे मन सदा अतृप्त है )

अँधेरे से नहीं बातें करना ऐ उजाले
तेरी हर बात अँधेरे में बदल जाएगी

(सिद्ध के संवाद सांसारिक मन को समझ नहीं आते.
सिद्ध की सारी बातों को मन अपना आशय जोड़कर समझना चाहता है )
.................................................................................... अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
अँधेरे से नहीं बातें करना ऐ उजाले
तेरी हर बात अँधेरे में बदल जाएगी


-बेहतरीन!!

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