एक सवाल भगवान से ...

मालूम न था भगवान इतने बेरहम होगे..
मौत का बख्शीस एक मासूम को दोगे?
ऊबनेवालों को जीने का जहर दोगे
जिंदगी में खेलने वाला उठा लोगे?

शाख से गिरकर जो माटी चूमना चाहे
उस लुड्कते फूल को तुम उम्र दे दोगे
शाख पे खिलकर जो मौसम को सजा देगी
उस कली को तोड़ माटी में मिला दोगे?

दुआ करते हो सुनते हैं क्या दुआ दोगे
किसीको जिंदगी देकर तुरत ही मौत दे दोगे?
तो आखिर कबतलक मनहूस रोती जिंदगी दोगे
मौत के डर से सिहरती जिंदगी दोगे?
................................................. अरुण

Comments

Udan Tashtari said…
बहुत बढ़िया!!

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